क्या आप जानते है कि हिंदी महीनों के नाम के पीछे भी ठोस कारण है, जबकि अंग्रेजी महीनों में कुछ को छोड़कर अन्य के कोई कारण नहीं है। इस जानकारी से सभी सनातनी को अवगत होना चाहिए। सबसे पहले हिंदी महीनों के नाम - हिंदी माह – (चंद्रमास) –
1. चैत्र (चैत),
2. वैशाख,
3. ज्येष्ठ (जेठ),
4. आषाढ़,
5. श्रावण (सावन),
6. भाद्रपद (भादो),
7. आश्विन,
8. कार्तिक,
9. मार्गशीर्ष (अगहन),
10. पौष (पूस),
11. माघ
12. फाल्गुन (फागुन)।
अब उनके नाम के पीछे के कारण। हिंदी महीनों के नाम का आधार चन्द्रमा और आकाश मंडल में तैरते नक्षत्र है।
अब यहाँ नक्षत्र को भी जानना आवश्यक है ज्योतिष शास्त्र में आकाश मंडल के २७ नक्षत्र का नाम मिलता है और सम्पूर्ण ज्योतिष शास्त्र इन्ही पर केंद्रित है। ये है -
अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आद्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।
पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा जिस भी नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र से मिलता जुलता पड़ा है।
चैत्र - जिस महीने में चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम चैत्र या चैत पड़ा है। यह हिन्दू महीनों में पहला मास है और हिंदी वर्ष की शुरुआत इसी माह से होती है और इस माह का पहला दिन अर्थात प्रतिपदा को हिन्दू नव वर्ष मनाया जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो अगले नौ दिन तक मनाई जाती है। नौवे दिन रामनवमी का त्यौहार मनाया जाता है। राम नवमी के दिन ही भगवान राम का जन्म दिन हुआ था।
वैशाख- यह हिन्दू वर्ष का दूसरा महीना होता है और इस समय भारत में गर्मी का समय चरम पर होता है। इस माह की पूर्णिमा में चन्द्रमा विशाखा नक्षत्र से मिलता है इसलिए इस माह का नाम वैशाख पड़ा है। पंजाब में इसी माह से नव वर्ष आरम्भ होता है और इसी माह वे अपना प्रिय पर्व बैशाखी मनाते है। बौद्ध धर्म के मानने वाले लोग बैशाख की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी पुकारते है। वैशाख माह में ही अक्षय तृतीया का त्यौहार मनाया जाता है। अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु का नर नारायण अवतार हुआ था।
ज्येष्ठ (जेठ)- ज्येष्ठ या जेठ हिन्दू माह में तीसरा स्थान रखता है और इस समय भारत में गर्मी अपने चरम पर होती है। इस माह चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है इसी कारण इस माह का नाम ज्येष्ठ या जेठ पड़ा है। इस माह में गंगा दशहरा मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन ही माँ गंगा धरती पर आयी थी।
आषाढ़- इस माह चन्द्रमा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और उत्तरषाढा नक्षत्र में होता है इसी कारण इस माह का नाम आषाढ़ पड़ा है। इसी माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
श्रावण (सावन)- श्रावण महीने की पूर्णमासी को चन्द्रमा श्रवण नक्षत्र से मिलता है इसलिए इस माह का नाम श्रावण या सावन पड़ा है। सावन माह में कई पर्व त्यौहार होते है इसी माह की पूर्णिमा को ही रक्षा बंधन के रूप में मनाया जाता है जबकि इससे पहले हरियाली तीज, नागपंचमी आदि त्यौहार मनाये जाते है। सावन का माह भगवान शिव की भक्ति के लिए भी जाना जाता है। इस माह से हिन्दू त्योहारों का सिलसिला आरम्भ हो जाता है।
भाद्रपद (भादो)- भादो माह में चन्द्रमा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का योग बनाता है इसलिए इस माह का नाम भादो या भाद्रपद पड़ा है। इस माह बारिश होती है। यह माह पर्व त्यौहार से भरा होता है। इसी माह हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, विश्वकर्मा पूजा, अनंत चतुर्दशी, जन्माष्टमी आदि मनाई जाती है।
आश्विन- इस महीने का नाम अश्विन नक्षत्र के आधार पर पड़ा है। सनातन धर्म के लिए यह माह सबसे महत्वपूर्ण व पवित्र माह में से एक है। इसी माह से सनातन धर्म के अधिकांश त्यौहार आरम्भ हो जाते है। इस माह का आरम्भ ही पितृपक्ष से होता है जिनमें गुजरे हुए लोगो को पिंड दान दिया जाता है और उन्हें याद किया जाता है। इसी माह में जितिया का पर्व भी होता है जो सन्तानो के लिए समर्पित है। इसी माह को महालया होता है जो पितरो की विदाई और मातृ शक्तियों के आगमन का दिन होता है। महालया के अगले दिन से आश्विन की नवरात्रि आरम्भ हो जाती है जो नौ दिन तक चलती है। इसी के बाद विजयादशमी अर्थात दशहरा होता है। आश्विन की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उसके बाद से शीत ऋतू का आरम्भ माना जाता है।
कार्तिक- इस माह का नाम कृत्तिका नक्षत्र के आधार पर पड़ा है। इस माह में भी आश्विन की तरह सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों का सिलसिला जारी रहता है और इसी क्रम में धन तेरस, नरक चतुर्दशी, यम दीया, दिवाली, भैया दूज, यम द्वितीया, चित्तगुप्त पूजा, गोवर्धन पूजा,अन्नकूट, महा पर्व छठ, तुलसी विवाह अथवा देवउठान एकादशी आदि मनाया जाता है।
मार्गशीर्ष (अगहन) -इस माह में चन्द्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है इसलिए इस माह का नामांकरण मार्गशीर्ष पड़ा है जो बोलचाल में अगहन माह के नाम से प्रचलित है। यह माह भयानक ठंड का माह होता है। समूचा उत्तर, पूर्व भारत शीत लहर और कुहासा की चपेट में होता है और इस माह में त्योहारो का सिलसिला लगभग थम सा जाता है। हिन्दू धर्म में सबसे कम त्यौहार वाला माह यही है।
पौष (पूस)- इस माह में चन्द्रमा पूर्णिमा को पुष्य नक्षत्र में होता है इसी कारण इस माह का नामांकरण पौष या पूस पड़ा है। पिछले माह से आरंभ हुई ठण्ड इस महीने और भी अधिक बढ़ जाती है और समूचा उत्तर, पूर्व भारत कुहासा और शीत लहर की चपेट में रहता है। इसी माह मकर सक्रांति मनाई जाती है।
माघ - इस महीने का नाम मघा नक्षत्र के आधार पर पड़ा है। इसी महीने से ऋतुओ की रानी बसंत का आरंभ हो जाता है और इसी माह में माँ दुर्गा को समर्पित माघ की गुप्त नवरात्रि होती है। उसी गुप्त नवरात्रि वाली पंचमी को माँ सरस्वती की पूजा होती है, जो बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा के नाम से प्रचलित है।
फाल्गुन (फागुन)- फाल्गुन हिन्दू वर्ष का अंतिम माह है। इस समय पूर्णिमा को चन्द्रमा फाल्गुनी नक्षत्र में होता है इसी कारण इस माह कामांकरण फाल्गुन या फागुन हुआ है। यह माह सुहावना होता है क्योंकि इस समय शीत ऋतू की विदाई हो रही होती है जबकि ग्रीष्म ऋतू का आगमन हो रहा होता है और ऋतुओ की रानी बसंत का समय होता है। इस समय पतझड़ के साथ ही पेड़ में नए पत्ते आने लगते है। समूचा वातावरण मनमोहक होता है। इसी माह को सनातन धर्म का सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से होलिका दहन और होली मनाई जाती है।
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(राजीव सिन्हा दिल्ली के लेखक है। इस तरह के कंटेंट लेखन के लिए राजीव सिन्हा से आप भी संपर्क कर सकते है।)