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The story of the film, written by Rajiv Sinha - वो थी कंचन
कंचन और विजय ने घर से भाग कर शादी की थी। ऐसी बात नहीं है कि विजय कोई ऐसा वैसा लड़का था। वह पढ़ा लिखा और समझदार लड़का था। वह वैसा लड़का भी नहीं था जो लड़की या स्त्री को देखते ही प्रेम प्यार में डुब जाता। सच्चाई तो यह थी कि वह इससे कोशो दूर रहने वाले पुरुषो में से एक था मगर वह क्या करें जब कोई लड़की उससे प्रेम कर बैठे। कंचन विजय कुमार सिन्हा की सादगी और शालीनता में दीवानी हो गई थी और यही दीवानगी कब प्रेम में बदल गई, इसका आभाष उसे तब होता जब वह किसी दिन छत पर चढ़ने पर उसे विजय अपने हाथ में किताब लिए टहलता हुआ नहीं दीखता था।
कंचन और विजय पड़ोसी थे। हालांकि दोनों के घर उतने भी पास नहीं थे। दोनों के घर दूर दूर थे मगर बावजूद इसके छत पर चढ़ने पर दोनों एक दूसरे को देख सकते थे। हाँ, आवाज सुनाई नहीं पड़ सकती थी क्योकि दुरी जो थी। उन दोनों घरो के बीच कई और भी घर थे मगर वे सभी घर उनसे एक मंजिल नीचे थे। हाँ, कुछ दूर वाले घर उनके जैसे ही ऊँचे जरूर थे मगर उनके बीच आने वाले कोई घर भी नहीं थे यानि कोई बाधा नहीं था मगर सबसे बड़ी बाधा तो उन दोनों के परिवार थे।
Political Based Hindi Film Script
पड़ोसी होने के बाद भी दोनों परिवारों के बीच बातचीत नहीं थी। या यूँ कहे कि दोनों परिवारों के बीच दुश्मनी सी थी। दुश्मनी कब से चली आ रही थी इसकी सही जानकारी तो कंचन क्या कंचन के माता पिता को भी नहीं पता था मगर दुश्मनी थी तो उसे दोस्ती में बदलने की पहल दोनों परिवारों की ओर से कभी हुई भी नहीं। शायद आज के व्यस्त जीवन में लोग बात बिगाड़ने में तो ध्यान देते है मगर बिगड़ी बात बनाने में ध्यान नहीं देते है।
कहते है, केवल दो सेतु ही रिश्तो को नहीं जोड़ते, कभी कभी खाई भी दो मार्गो को जोड़ देती है और यही स्थिति कंचन और विजय के परिवारों के बीच थी। अभी उन दोनों का अपने अपने घर से भागे हुए कठिनाई से दस दिन ही हुए थे कि यह मुद्दा आग की तरह पहले जिले में फिर राज्य में और फिर जल्द ही राष्ट्रीय मुद्दा बन गया। लेकिन एक छोटी सी प्रेम कहानी की इतनी तूल पकड़ने का कारण क्या था ?
कारण था, उस लोकसभा के नेता जी और उनकी गंदी राजनीतिक एजेंडा। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि नेता जी को उस प्रेम कहानी में इतनी रूचि हो गई। कारण था लड़की का छोटी जाति का होना जबकि लड़के का बड़े जाति का होना। बस इतना सा ही कारण था। जबकि उसमें लड़के की कोई गलती भी नहीं थी। 'लड़की का छोटी जाति का होना और लड़के का बड़ी जाति का होना' जैसे कारण ने नेता जी को अपनी गंदी राजनीतिक रोटी सेंकने का भरपूर अवसर दे दिया। जब नेता जी आये तो कई राजकीय और फिर अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ भी उस एजेंडो को यह कह कर हवा देने लग गए कि देश में छोटी जातियों पर बड़ी जातियां अन्याय कर रही है। उस कम्पैन को देशव्यापी चलाने के लिए मुस्लिम देशो और खालिस्तानियों की ओर से फंडिंग होने लगी। देश भर की हिन्दू विरोधी मीडिया, युट्यूबर, पत्रकार से बने युट्यूबर रात दिन जग जग कर देश में आग भड़काने में लग गए।
मामला केंद्र सरकार के त्यागपत्र तक आ गया। दिल्ली सहित देश के कई अन्य शहरो में मोमबत्ती गैंग, बिंदी गैंग, बॉलीवुड गैंग, प्लेयर गैंग्स सभी के सभी धीरे धीरे एक्टिव हो गए। देश भर के शहरो में रैली निकालें जाने लगे। उनमें बड़ी संख्या में लोग होते लेकिन आश्चर्य की बात तो यह थी कि उनमें से शायद ही किसी को यह पता था कि वास्तविक मामला क्या है। उन भीड़ो में शामिल होने वाले लोगो को पैसे देकर देकर लायें जाने लगें।
राजनीति पर आधारित फिल्म की कहानी
देश भर की हिन्दू विरोधी मीडिया, युट्यूबर और पत्रकार से युट्यूबर बने लोग आँख गड़ा गड़ा कर उन भिड़ो को अपने अपने कैमरों में कैप्चर करने लगे। जब ये लोग आये तो तत्काल अंतराष्ट्रीय मीडिया भी अपने एजेंडे के लिए एक्टिव हो गए। अमरीका और यूरोपीय मीडिया के अखबारों में अंग्रेजी की बड़ी बड़ी हेडलाइन के साथ आर्टिकल छापे जाने लगे। डिजिटल मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक एजेंडो में हजारो करोड़ रूपये खर्च किये गए। देश भर की विरोधी पार्टियां को कौन कहे, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उनके नेता लोग तो अकेले में भी पागलों की भांति हंसे जा रहे थे। इतनी खुशी तो उन्हें चुनाव जीतने के बाद भी नहीं मिलती, जितनी उन्हें अब मिल रही थी।
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खुशी भी क्यों न हो, उनके लिए रात दिवाली और दिन होली जैसा जो दिन आ गए थे। उन्हें लग रहा था कि भाग्य ने उनका इतना साथ दिया है कि जैसे उनकी जन्म कुंडली में एक साथ राहु, केतु और शनि उन पर दयावान हो गए है और वे सब मिलकर एक साथ अपना शुभ फल उन्हें अब देना आरम्भ कर दिया है। वे इस खुशी में पागलो की भांति अपने ज्योतिषो के पास कॉल करके बार बार आभार व्यक्त कर रहे थे, लेकिन वे भूल गए थे कि उन ज्योतिषो में कई कायस्थ व ब्राह्मण जैसे बड़े जातियों के लोग भी शामिल थे। उन्हें अब लग रहा था कि इस बार उनके इन एजेंडो से एक साथ कई काम हो जाएंगे और आसानी से वे हिन्दुओ को जातियों में लड़ाकर उसकी एकता को तोड़ देंगे। लेकिन तभी कंचन का एक निर्णय ने उन सब का खेल बिगाड़ दिया।
Indian Dirty Politics-Based Movie's Story...."Wo Thi Kanchan"
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