आत्मकथा लेखक राजीव सिन्हा- Biography writing service यहां उपलब्ध है

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Biography writer Rajiv Sinha


हिंदी के कुशल व प्रोफेशनल बायोग्राफी लेखक - Rajiv Sinha


मिलिए राजीव सिन्हा जी से! राजीव सिन्हा दिल्ली के जाने-माने बायोग्राफी रायटर है। इन्होने अब तक कई लोगो की बायोग्राफी लिखी है। शिक्षा की भूमि, ‘बिहार’, की मिट्टी में पले-बढे राजीव सिन्हा ने अर्थशास्त्र से बीए की डिग्री हासिल की है। इनका जन्म मुंगेर में हुआ है और दिल्ली में रहकर स्वतंत्र लेखन का कार्य कर रहे है।


लेखक परिचय-


राजीव सिन्हा का जन्म मुंगेर, बिहार में हुआ है। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ बीए किया। पढ़ाई करते हुए इन्होने हाई स्कूल स्तर के विद्यार्थियों को ट्यूशन भी देना जारी रखा। ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद कुछ लोगो के विशेष आग्रह के बाद वे बिहटा, पटना चले गए और फिर करीब दो वर्ष तक रह कर वही शिक्षण का शुभ कार्य किया। बाद में फिर वे बड़े भाइयों के आग्रह पर वापस मुंगेर लौट आये और भाइयों के सहयोग से ही इन्होने मुंगेर में रहते हुए कम्प्यूटर इंस्टिट्यूट 'एप्टेक' से 'वन ईयर डिप्लोमा कोर्स' भी क्या, जिसमें डाटा मैनेजमेंट, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और वेबसाइट डिज़ाइन जैसे एडवांस पाठ्यक्रम शामिल थे। पहले की भांति पढाई के साथ साथ हाई स्कूल के विद्यार्थियों को ट्यूशन देना भी जारी रखा। कंप्यूटर में वन ईयर का डिप्लोमा करने के अलावे इन्होने उसी बीच मुंगेर स्थित एक अन्य कंप्यूटर इंस्टिट्यूट 'आरसीएम' से कंप्यूटर में एकाउंटिंग, 'टैली' का तीन महीने का भी कोर्स किया। हालॉकि दिल्ली आने के बाद इन्होने फिर से टैली का एडवांस वर्जन (तत्कालीन) भी एक्सपर्ट (सीए) से सीखा और दूसरे कई लोगो को सिखाने का भी शुभ कार्य किया। इतना ही नहीं दिल्ली आने पर राजीव जी, कंप्यूटर में मास्टर डिग्री- 'एमसीए' भी किया। दिल्ली आने के बाद इन्होने कुछ समय तक शिक्षा की ज्योति जलायी। दिल्ली में प्रारंभिक दिनों में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े रहे और दिल्ली के कंप्यूटर इंस्टीट्यट में पढ़ाने के अलावे अपने निवास स्थान 'वजीराबाद, दिल्ली में भी कई विद्यार्थियों को पढ़ाया। बाद में इन्होने कई अलग अलग कंपनियों के साथ जुड़कर काम किया। कंपनियों के साथ जुड़ने के कारण अधिक व्यस्तता हो गई परिणाम यह हुआ कि इनका शिक्षा के क्षेत्र से दुरी होती चली गई। बाद में दिल्ली के कई एजेंसी में कॉपीराइटर की जॉब भी की और अलग प्रकार के लेखन पद्दति का अध्ययन भी करते रहें, सीखना जारी रखा। राजीव सिन्हा जी दिल्ली के ओखला इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एड एजेंसी इन्फिनिटी में भी कॉपी रायटर की जॉब की, जहाँ इन्हे कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया।


लेकिन स्वतंत्र विचारधारे वाले व्यक्तित्व को परतंत्रता कहाँ भांति है भला। इन्हे जॉब रास नहीं आयी और इन्होने जॉब छोड़ दी। जॉब छोड़ कर इन्होने स्वतंत्र लेखन को अपनाया। राजीव सिन्हा का कहना है, "एक लेखक को किसी सीमा में बांध कर लिखवाया तो जा सकता है मगर वैसी स्थिति में उससे वैसी लेखनी की आशा नहीं की जा सकती है, जो उस लेखक की अंतरात्मा में बसती है और जिसके कारण वो व्यक्तित्व लेखक या लेखिका बना होता है। दूसरी बात यह है कि एक सच्चे लेखक के लिए किसी प्रकार की तकनीकी की भी कोई आवश्यकता नहीं है, तकनीकी केवल साधन है, साध्य नहीं। एक लेखक का अनुभव और शैली ही विशेष है, हाँ इसके साथ ही उन्हें उन भाषा में भी पकड़ होनी चाहिए जिसमें वो लिखना चाहते है।" राजीव जी गर्व से कहते है - "मैं हिन्दू हूँ और मुझे हिंदी, हिन्दू और हिंदुत्व पर गर्व है।"


राजीव सिन्हा जी की लिखी हुई प्रथम रचना अक्टूबर 2003 में बिहार की एक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी, तभी से इन्होंने अक्टूबर को अपना शुभ महीना मान लिया। वैसे इनका जन्म भी अक्टूबर महीने के 11 तारीख को हुआ था। फिलहाल राजीव सिन्हा जी, बायोग्राफी के साथ साथ स्क्रिप्ट रायटिंग के क्षेत्र से भी जुड़े है। इनकी लिखी हुई कई शार्ट फिल्म अब तक बन चुकी है। राजीव सिन्हा जी क्लाइंट्स के लिए फ्रीलान्स के तौर पर काम करते है।


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पाखी - A Real Life Based Novel


2018 में इनकी एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है। वास्तव में, पाखी दिल्ली की रहने वाली एक युवा लड़की के जीवन पर आधारित कहानी (Real life based story in Hindi) है। यह दिल्ली की एक लड़की की रियल लाइफ से लिया गया है। पाखी (Pakhi) लेखक राजीव सिन्हा के द्वारा लिखी एक ऐसी पुस्तक (The Book, Written By Rajiv Sinha) है जिसमें, आज की युवा स्त्री के हृदय में उठने वाली अपने साथी के वियोग की पीड़ा की चरमस्थिति को आम बोल चाल की भाषा शैली के माध्यम से उजागर किया गया है। लेखक ने नवयौवना के निश्चल हृदय में उत्पन्न विरह की पीड़ा का ऐसा वर्णन किया है, जो न केवल पुस्तक पढ़ते हुए आंखों के सामने साकार हो उठता हैं बल्कि यह पढ़ने वालो के हृदय को भी छू लेने में सक्षम है। स्कूल व कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों के आपसी रिश्ते एवं उनकी कोमल भावनाओं को लेखक ने बिल्कुल जीवंत तरीके से उठाया है।


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दिल्ली की लड़की

प्रतिलिपि पर प्रकाशित होने वाली प्रसिद्ध आत्मकथा दिल्ली की लड़की के कुछ भाग को भी इन्होने लिखा।


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विविध

इसके अलावे ये (Jiwani Lekhak) लगातार आम जनमानस के जीवन को भी उन्ही के व्यक्तिगत आग्रह पर लाने का काम कर रहे है। इससे आम जनमानस भी अपनी जीवनी को समाज के सामने लाने में सक्षम हो रहें है। जहाँ प्रायः अधिकांश लेखक या लेखिका जाने माने हस्ती/हस्तियों/सेलिब्रिटीज/नेताओ की जीवनी (biography) लिखकर प्रसिद्ध होना चाहते है, वही राजीव जी आम जनमानस की जीवनी दुनिया के सामने लाने का शुभ कार्य कर रहे है। यह एक बहुत ही पावन कार्य है। यदि आप भी अपनी जीवनी राजीव जी से लिखवाना चाहते है तो आप उनसे सम्पर्क कर सकते है। आप भी अपनी जीवनी (your life story) को दुनिया के सामने ला सकते/सकती है।

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स्मृति तक

स्मृति तक वेबसाइट पर इनके द्वारा लिखे हुए लेख, आर्टिकल, कहानी, स्क्रिप्ट आदि लगातार पब्लिश्ड होते रहते है। आप भी अपनी बायोग्राफी यहाँ पब्लिश्ड करवा सकते/सकती है। इसकी जानकारी नीचे दी गई लिंक में दी गई है। स्मृति तक पर अपनी आत्मकथा पब्लिश्ड करवाने के नियम व उसके लिए देय भुगतान राशि की जानकारी यहाँ प्राप्त करें।


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Language–Hindi

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Rajiv Sinha

(Delhi-based Writer/Author)

Screenwriters Association (SWA), Mumbai Membership No: 59004

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