पहाड़ी के शांत स्थल पर स्थित ये मंदिर राम से जुड़ी स्मृतियों को अनायास ही ताजा करा जातें हैं।
महाराष्ट्र के नागपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर (Nagpur Se Ramtek Ki Duri) स्थित रामटेक मंदिर भगवान राम (Jai Shri Ram) का अद्भुत मंदिर है। मन्दिर केवल पत्थरों से बना है, जो एक दूसरे के ऊपर रखे हुए हैं। रामटेक ही वह स्थान है, जहां भगवान राम और ऋषि अगत्स्य मिले थे। ऋषि अगत्स्य ने ना केवल भगवान राम को शस्त्रों का ज्ञान दिया था बल्कि उन्हें ब्रह्मास्त्र भी प्रदान किया थ। जब श्रीराम ने इस स्थान पर हर जगह हड्डियों का ढेर देखा तो उन्होंने इस बारे में अगत्स्य ऋषि से प्रश्न किया। तब उन्होंने बताया कि ये सब उन ऋषियों की हड्डियां हैं, जो यहां पूजा-यज्ञ, ध्यान-साधना किया करते थे। यज्ञ और पूजा करते समय राक्षस विघ्न डालते थे, जिसे जानने के बाद श्रीराम ने प्रतिज्ञा ली थी, कि वह इस धरा को असुर मुक्त करके ही रहेंगे! वे सम्पूर्ण राक्षस प्रजातियों का विनाश करेंगे। यही नहीं ऋषि अगत्स्य ने रावण के अत्याचारों के बारे में भी भगवान राम (Bhagwan Ram) को यहीं बताया था। उनके दिए गए ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) के द्वारा ही भगवान राम (Lord Rama) ने बाद में रावण का वध किया था।
कहाँ हैं रामटेक मंदिर?
एक छोटी पहाड़ी पर बने रामटेक मंदिर (Ramtek Mandir) को गढ़ मंदिर भी कहा जाता है। इसके अलावा इसे सिंदूर गिरि भी कहते हैं। यह देखने में मंदिर कम क़िला अधिक लगता है। विशेष बात यह है कि इसके पूरब की ओर सुर नदी बहती है। सुर नदी गोदावरी नदी की एक सहायक नदी है और यह भारत के महाराष्ट्र में भंडारा और नागपुर जिलों में बहती है। रामटेक मंदिर (Nagpur Temple) का निर्माण राजा रघु खोंले ने एक किले के रूप में करवाया था। मंदिर (Sita Ram Mandir) के परिसर में एक तालाब भी है, जिसे लेकर ऐसी मान्यताएं है कि इस तालाब में पानी कभी कम या ज़्यादा नहीं होता। हमेशा सामान्य जल स्तर होने के कारण लोग आश्चर्यचकित होते हैं। तालाब के चारो ओर कई मंदिर स्थित हैं!
रामटेक मंदिर का इतिहास
रामटेक में भगवान श्री राम (Jay Shree Ram) का एक ऐतिहासिक मंदिर (Ramtek Temple) है। मान्यता है कि समीप ही ऋषि अगस्त्य का आश्रम था और श्रीराम (Shri Ram) ने अपने वनवास (Vanvas) के दौरान यहाँ कुछ समय बिताया था। वनवास के दौरान भगवान राम, भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ जब दंडकारण्य वन से पंचवटी की ओर जा रहें थे तो उन्ही दिनों मानसून का समय आरम्भ हो गया था। मानसून की ऋतू चार माह की होती हैं और इन दिनों रुक रुक कर बारिश होती हैं। यही स्थिति उस समय भी थी। अब यही कारण था कि भगवान राम (Jay Shri Ram) ने बरसात के ये दिन किसी एक स्थान पर रुक कर बिताना अधिक उचित समझा। भगवान राम जिस स्थान पर रुके थे वह स्थान यही राम टेक था । भगवान राम (Jay Jay Shri Ram) के रुकने अर्थात टिकने के कारण ही इस स्थान का नाम राम टेक पड़ा हैं। इसी स्थान पर भगवान का अगस्त ऋषि से मिलना हुआ था। इसी स्थान पर माँ सीता ने आस पास के सभी ऋषि मुनियो को भोजन कराया था। इस स्थान का वर्णन वाल्मीकि रामायण और पद्मपुराण में मिलता हैं।
वर्तमान मंदिर का निर्माण रघुजी भोंसले ने करवाया था, जो 18वीं शताब्दी में नागपुर के मराठा शासक थे। उन्होंने छिंदवाड़ा में देवगढ़ के दुर्ग पर विजय पश्चात यहाँ मंदिर बनवाया था। यहाँ ध्यान साधना लगाने पर एक अद्भुत शांति की अनुभूति होती है, जैसा एक सामान्य क्षेत्रो में नहीं होती है। इसलिए कभी जीवन में अवसर मिले तो एक बार रामटेक मंदिर (Ramtek Temple Nagpur) अवश्य आएं!
यह स्थल सनातन धर्म के प्रतिक स्थल में शामिल है। यह स्थल प्रेरित करता है कि बुराई लिए विधर्मियों का समूह कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो जाएँ, एक न एक दिन उनका अंत होना तय है। यह प्रतिक है, सनातन धर्म का! सनातन धर्म को मिटाने वाली आसुरी शक्तियां (Asuri Shaktiyan) समय समय पर आते रहें है। आज ही नहीं, ये आसुरी शक्तियां पहले भी अनेक बार धर्म को हानि पहुंचाते रहें हैं लेकिन उन्हें हर बार मुँह की खानी पड़ी है। सनातन धर्म (Sanatan Dharma) शाश्वत हैं, शेष तो केवल पंथ हैं, जो आते-जाते रहें हैं। अंत में बोलिये - जय श्री राम !
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कहाँ है रामटेक मंदिर ? जानें, भगवान राम से क्या सम्बन्ध है, इस मंदिर का ? Ramtek Mandir, Maharashtra
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लेखन :
राजीव सिन्हा
Bahut hi badhiya hai .. jai shri ram
जवाब देंहटाएंरागिनी जी धन्यवाद ! वेबसाइट पर और भी कई अच्छी जानकारियां है, आप उन्हें भी अवश्य पढ़ें ! जय श्री राम ! जय माँ दुर्गा ! जय माँ काली !
हटाएंबहुत ही बढ़िया जानकारी दिए है भईया, जय श्री राम
जवाब देंहटाएंट्विंकल जी धन्यवाद ! वेबसाइट पर और भी कई अच्छी जानकारियां है, आप उन्हें भी अवश्य पढ़ें ! जय श्री राम ! जय माँ दुर्गा ! जय माँ काली !
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